शाहरुख खान ने शेयर किया पिता से किया वादा, इसलिए आज तक कश्मीर नहीं गए!

 



बॉलीवुड के किंग खान यानी शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) ने हमेशा अपने अभिनय से ही नहीं, बल्कि अपने

 निजी जीवन की दिल छू लेने वाली कहानियों से भी दर्शकों का दिल जीता है। हाल ही में अमिताभ बच्चन के

 लोकप्रिय क्विज शो 'कौन बनेगा करोड़पति' (Kaun Banega Crorepati) में शाहरुख ने अपने जीवन से जुड़ा एक

 बेहद भावुक किस्सा साझा किया, जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं।

पिता से किया बचपन का वादा

शाहरुख ने बताया कि उनकी दादी (पिता की मां) कश्मीर से थीं, जिसकी वजह से इस जगह से उनका गहरा निजी

 जुड़ाव रहा है। शाहरुख ने भावुक होते हुए कहा —

"मेरे पिताजी की मां कश्मीरी थीं। उन्होंने मुझसे जिंदगी में तीन जगहें देखने का वादा लिया था।

 

उन्होंने कहा था — 'चाहे मैं रहूं या न रहूं, एक बार इस्तांबुल देखना, एक बार रोम (इटली) देखना और

 

एक बार कश्मीर जरूर देखना। लेकिन बाकी दो जगह मेरे बिना देख लेना, पर कश्मीर मेरे बिना मत

 

देखना। मैं खुद तुम्हें कश्मीर दिखाऊंगा।'"

यह वादा शाहरुख के दिल में गहरे पैठ गया। अपने पिता के निधन के बाद भी उन्होंने इस वचन को निभाया।

 शाहरुख ने आगे कहा —

"मेरे पिताजी बहुत जल्दी चले गए। मैंने दुनिया भर की सैर की है, लेकिन कभी भी कश्मीर नहीं गया।

 

कई मौके मिले, दोस्त बुलाते रहे, परिवार वाले छुट्टियों पर भी गए, लेकिन मैंने कश्मीर नहीं देखा।

 

क्योंकि मेरे पिता ने मुझसे कहा था कि बिना उनके कश्मीर मत देखना।"

दर्शकों के दिलों को छू गई शाहरुख की भावनाएं

शाहरुख की यह भावनात्मक कहानी सुनकर दर्शकों में भी गहरी संवेदनाएं जाग उठीं। उनके पिता के प्रति यह

 सम्मान और प्रेम ने शाहरुख के निजी और जमीन से जुड़े इंसान होने की छवि को और मजबूत किया।

सवाल उठे, फिर आया फैन्स का सपोर्ट

हालांकि, कुछ सजग फैंस ने यह भी याद दिलाया कि शाहरुख खान ने 'जब तक है जान' (Jab Tak Hai Jaan,

 2012) की शूटिंग के दौरान कश्मीर का दौरा किया था। फिल्म में गुलमर्ग, पहलगाम, लद्दाख और पैंगोंग झील जैसी

 खूबसूरत जगहों को दिखाया गया था।


एक फैन ने ऑनलाइन लिखा,

"पता नहीं ये केबीसी एपिसोड किस साल का है, लेकिन शाहरुख ने 'जब तक है जान' की शूटिंग के

 

दौरान 2011-12 में कश्मीर का दौरा किया था।"

लेकिन कई फैन्स ने शाहरुख का बचाव करते हुए यह स्पष्ट किया कि उन्होंने भले ही कश्मीर यात्रा की हो, लेकिन

 वह यात्रा उनके पिता के साथ नहीं, बल्कि अपने मेंटर और फिल्म निर्देशक यश चोपड़ा के साथ की थी, जिन्हें वह

 पिता के समान मानते थे। इसलिए शाहरुख का बयान उनके निजी वादे और भावनात्मक जुड़ाव को ही दर्शाता है,

 न कि प्रोफेशनल शूटिंग के दौरान हुए सफर को।

एक बेटे का अपने पिता के वचनों के प्रति अटूट समर्पण

शाहरुख खान की यह कहानी न केवल उनके निजी जीवन के गहरे पहलुओं को उजागर करती है, बल्कि एक बेटे

 द्वारा पिता से किए वादे को आजीवन निभाने की मिसाल भी पेश करती है। उनकी यह संवेदनशीलता और सम्मान

 आज भी उन्हें लाखों दिलों का बादशाह बनाए हुए है।